The smart Trick of #islamic #sabaq #deen #ka That No One is Discussing

अल्लाह की तरफ से अपने बंदों के लिए जिंदगी गुजारने का जो तरीका मोतऐयन किया गया है, उसको “शरीयत” कहते हैं। शरीयते इलाही अपनी आखरी और मुकम्मल सूरत में पैगम्बरे इस्लाम जनाब मुहम्मद रसूलुल्लाह पर नाजिल की गई। शरीयत के बा’ज अहकाम वह हैं, जिन में बुनियादी उसूल व मकासिद की वजाहत करदी गई है, जुजइयात व तफसीलात को ज्यादा वाजेह नहीं किया गया है, जैसे माली मुआमेलात और सियासी मसायेल, ताकि जमाने की तब्दीलीयों के लिहाज से इन अहकाम को मुनतबक किया जासके, जबकि जिंदगी के बा’ज मसायल वह हैं, जिन में मकासिद भी बयान कर दिए गए हैं और उस की अमली शक्ल को भी ज्यादा से ज्यादा वाजेह करने की कोशिश की गई है, यह हैं इबादात और खानदानी जिंदगी के मसायेल।

तहरीके इस्लाहे मुआशेरा ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड

Mulk ki aabadi chunke mukhtalif mazhab, mukhtalif tehzibon aur tabkati lehaz se mukhtalif anasir per mushtamil hai, jin ke darmiyan aasani se firqa warana aur tabqati ta’assub aur mafadaat ka takrao paida ho sakta hai, jis ko hukumat aur josh e akhlaqi ke zariye Management karne ki zaroorat hoti hai, takeh mulk ki taraqqi ke liye is ke mukhtalif anasir aur tabqat ke mabain yakjaheti aur hamahangi hone se madad mil sake, aur mulk ke mafad ki hifazat ho sake.

मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड अपनी जिम्मेदारी अच्छी तरह से निभा रहा है।

(रुक्न अॉल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड)

हज़रत मौलाना राबेअ हसनी नदवी दामत बरकातहुम

آل انڈیا مسلم پرسنل لا بورڈ کے پیغامات, اعلانات ,اکابر علماء کےبیانات, اصلاحی مضامین و مقالات, بورڈ کی اہم شخصیات پر لکھے گئے مضامین حاصل کرنے اور ہنگامی مسائل سے متعلق بورڈ کا موقف جاننے, نیز بورڈ کی موجودہ سرگرمیوں سے باخبر رہنے کے لئے بورڈ کے آفیشیئل فیس بک پیج کو لائک کریں:

तहरीके इस्लाहे मुआशेरा अॉल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड

Yakin kijiye din aur mazhab se saccha ishaq aur is par amal shahrah hayat hai,ruhani qadron ko Apne andar sama Lena Zindagi ki maiyraj hai,aur aisi hi Zindagi ke liye lakhauf alaihim wala hum yahzanon ki basharat hai,ham sab Jo is basharat ke talab gar aur umidwar hai rasul-e-karim alaihal tahyat ki hidayaton ko har Ghar mein pohanchade aur har Dil mein utarde,to sari bigdi ban Sakti hai,ham muhasibah nafas bhi kare , muhasibah muasherah bhi,islah nafas bhi kare aur islah muasherah bhi,aur ye bhi batate chale ke hasabul duniya raska khatiat(duniya ki mohabbat har Galti ki had hai) aur dilo mein utarte chale ke jab bhi duniya ki mohabbat aur moot ka khauf Hoga,wo ahad Hoga hum for every ummato ke tut padne ka! Yahi sabaq hai hamare aaqa noticed ka!

क़ुरान एवं सुन्नत उम्मत के लिए प्रकाश एवं सीधे मार्ग का स्रोत है, अल्लाह की रस्सी को पकड़ने के परिणाम में स्वंय मुसलमानों में अल्लाह का रंग आता है, और वह बन्दगी और पवित्रता की आदत अपना कर सीधे मार्ग पर चल पड़ता है, मार्ग की कठिनाईयों को प्रसन्नता से सहन करता है, और मार्ग में आने वाली परिक्षाओं, प्रलोभन वाली वस्तुओं, लापरवाही में डालने वाले मामले से बच कर धैर्य एवं बुरे कर्मों से बचते हुए अल्लाह पर भरोसे के रास्ते को अपनाता है तो वह जैसे रब की आज्ञा का पालन करने का हक अदा करता है, इस्लामी शरीयत पर विधिवत रूप से कार्यरत होना वास्तव में बन्दगी का उद्देश्य एवं लक्ष्य है। रसूल (सल०) जो दीन (धर्म) हम तक पहुँचाया है उसको मज़बूती से थाम लेना और दाँतों से पकड़ लेना हर read more परिस्थिति में आवश्यक है। आख़री नबी(सल०) ने फ़रमाया कि तुम में दो चीज़ें छोड़ कर जा रहा हूँ जब तक तुम इन को मज़बूती से पकड़े रहोगे तो सीधे मार्ग से नहीं भटकोगे उनमें से पहली चीज़ क़ुरान और दूसरी चीज़ सुन्नत है।

رَسُوْلَ اللّٰہ رَسُوْلَ اللّٰہ رَسُوْلَ اللّٰہ رَسُوْلَ اللّٰہ

अध्यक्ष ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड

Kalma-e-taiyyiba sirf musalmanon ka kalma nahi, balkeh ye tamam insaniyat ke liye najat ka kalma hai, is ke pahle Juzw mein is haqiqat ka aiteraf hai keh insano ka ma’abud ek hi hai, wahi khuda hai, wahi qadir e mutlaq hai aur isi ke ishrah par kayenaat ka ye poora nizam jari-w-sari hai.

वास्तविकता यह है कि “यूनिफॉर्म सिविल कोड” विभिन्न कारणों से हमारे देश के लिए मुनासिब नहीं है, एक तो इससे अल्पसंख्यकों के धार्मिक अधिकार प्रभावित होंगे, जो संविधान के मूल आत्मा के विपरीत है, दूसरे : एकसमान कानून ऐसे देश के लिए तो मुनासिब हो सकता है, जिसमें एक ही धर्म के मानने वाले और एक ही संस्कृति से सम्बन्ध रखने वाले लोग बसते हों, भारत एक अधिकाधिक समाज से सम्मिलित देश है, जिसमें विभिन्न धर्मों के मानने वाले और विभिन्न संस्कृतियों से सम्बन्ध रखने वाले लोग पाये जाते हैं, बहूलता में एकता ही इसका असल सौंदर्य और इसकी पहचान है, ऐसे देश के लिए एकसमान निजी कानून व्यवहारिक नहीं हैं।

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